कहने को यू तो थी बातें कई , पर तुमसे कहना पाए कभी रहना था हमको साथ मगर , रहकर भी रह ना पाए कभी जाने को यू तो गए मौंसम कई, मौंसम-ए-जुदाई क्यों जाता नहीं महफिले भी गई, रुसवाई हुई, क्यों वर्षो की ऐसे जुदाई हुई अरमान दिल के जम से गए, जुदाई के गम से सहम से गए मौंसम गुजरते रुक से गए, लम्हा गुजरते थम से गए तुम भी तो हममें रम से गए, हाँ लम्हा गुजरते थम से गए उन लम्हों को कैसे भुलायेंगे हम, चाहा था तुमको ही चाहेंगे हम जो लौटे अभी फिर ना आयेंगे हम, तुमको कभी न फिर सतायेंगे हम मिल ना सके इस जहाँ में तो क्या, यादों में नित मिलने आयेंगे हम चाहें टुकड़ो में दिल के बिखर जाये हम, फिर भी चाहा था तुमको ही चाहेंगे हम दूर हुई है देहे हमारी, पर तुमसे दिल दूर कैसे ले जाये हम चाहा था तुमको जाँ से भी ज्यादा, जां मेरी तुमको ही चाहेंगे हम रूठी है हमसे आज किस्मत हमारी, कैसे ? ऐसे ही तुमको भुलायेंगे हम हमको यकि है चाहत पे अपनी, अब यादों में दुनिया बसायेंगे हम दूर हुए है हम तुमसे मगर, यादों में साथ जिए जायेंगे हम दुनिया की रस्में निभा ना सके , पर प्रेम की...
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