अभी तो आये हो अभी क्यों जाना है बैठ यमुना किनारे समय साथ बिताना है क्या घर जाने का ये कोई नया बहाना है जाने का नही प्रियतम आने का बहाना है कहकर हम आये है मंदिर हमे जाना है अभी तो आये हो अभी क्यों जाना है कुछ देर तो ठहरों तुम ,हमे कुछ तुम्हे बताना है कुछ तुम्हे बताना है , कुछ तुम्हे सुनाना है अम्बर में जब तक है सूरज , चंदा , तारे नित मिलकर हमको ये प्रेम निभाना है अभी तो आये हो अभी क्यों जाना है मुरली की धुनों पर भी नाचना और गाना है कुछ देर तो ठहरो तुम जल्दी क्यों जाना है जाना ही होगा प्रियतम हमे माँ ने बुलाया है जाना ही अगर है ,कल मिलने का वादा कर जाना है Poet - MAHESH KUMAR MEENA
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