माँ तेरी गोद में खेले तूने प्यार लुटाया खूब
माँ तेरी गोद में खेले तूने प्यार लुटाया खूब
माँ जब चोट लगी तो प्यार से सीने से लगाया खूब माँ तूने दुनिया की ठोकरों से हमे बचाया खूब
माँ तेरे आंगन के फूलों ने हमे लुभाया खूब
माँ तूने हम बच्चों को नीर की जगह अमृत पिलाया खूब
माँ जब आंच आई तुझपे तो , हम बन्दुक उठा के चल दिए
माँ सारे ऐश्वर्य ,वैभव तुझपे लूटा के चल दिए
माँ आज कर्ज़ तेरे हम चूका के चल दिए
माँ उठे हुए सरो को हमने झुकने न दिया
माँ भले ही आज हम अपने सर कटा के चल दिए
माँ वीरता से अपनी ,दुश्मनों के सर झुका के चल दिए
माँ प्यार कितना है हमें तुझसे ,ये जग को बता के चल दिए
माँ बलिदान पे अपने अपनों को ही नही ,दुश्मनों को अपने रुला के चल दिए
माँ लोट के आएंगे तेरी गोद में ये विश्वास दिल में दबाये चल दिए
माँ अब अंतिम प्रणाम हो स्वीकार ,रक्त का अपने कण-कण बहा के चल दिए
Poet - Mahesh Kumar Meena
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