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जून, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मैं तो एक शायर हूँ ( Main to ek shayar hun ) | Hindi poetry

मैं तो एक शायर हूँ मैं तो एक शायर हूँ सबकुछ सह लूँगा अपना दर्द अपने शब्दो से कह लूँगा तू बता ये सबकुछ सहेगी कैसे हुए अगर हम जुदा तो जुदा रहेगी कैसे गम इसका मुझको भी होगा तुझको भी होगा पर ये दर्द-ए-दिल हम सहेंगे कैसे जुदा हो गए तो जुदा रहेगें कैसे दूर हो या पास जुदाई तो होगी जुदा हुए तो रुसवाई भी होगी इस जुदाई के आलम में एक दूजे की धड़कन सुनेगें कैसे जुदा हो गए तो जुदा रहेंगे कैसे मैं तुम्हे अपना सबकुछ बना ही चूका हूँ आगामी जीवन के सपने सजा ही चूका हूँ जो टूटे ये सिलसिले तो वो सपने टूटेंगे कैसे जुदा  हो गए तो जुदा रहेंगे कैसे जो सपने टूटना है टूटे, यूँ रब रूठना है रूठे दुआ तो यही हैं तेरा संग कभी न छूटे संग छूटा तो टुकड़े दिल के समेटेंगे कैसे जुदा हो गए तो जुदा रहेंगे कैसे कवि - महेश "हठकर्मी " प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत  Update मिल जाये। एवं पाठक गणों  कविता पसन्द आये तो आपने मित्रों के साथ share करे। ...

दीवारे ( Diware ) | Hindi Poem | Hindi poetry

मेरे रूम की दीवारे मेरी दोस्त हैं जब मैं तन्हा होता हूँ इनसे बात करता हूँ ये सब सुनती हैं,  फिर भी चुप रहती हैं न कभी ये हँसती हैं मुझ पर, न कभी मुझे चिढ़ाती हैं कभी जो गुमसुम भी हूँ  मैं न ये मेरे गम को ठिठोली बनाती हैं काश इंसान भी इनके जैसा होता ये पत्थर तो हैं परन्तु पत्थर नहीं हैं काश इंसान का दिल भी पत्थर न होता ये मूक हैं कभी बोल नहीं सकती अपनी भावनाएँ शब्दों में तोल नहीं सकती काश इंसान भी इनसे कुछ  सिख पाता अपने शब्दों को तोलकर बोल पाता ये रूम की छत को उठाये हुए हैं भार छत का है स्वयं में समाये हुए हैं काश इंसान भी इन सा बन पाता भार किसी का भी हो स्वयं उठा पाता जरुरत में किसी के काम आता ये दीवारे मुझे बहुत कुछ सिखाती रहती हैं दोस्त जो ठहरी राहें बताती रहती हैं कवि - महेश "हठधर्मी" प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत  Update मिल जाये।  दीवारे ( Diware ) | Hindi Poem | Hindi poetry कविता एक Inspirati...

भगवा ( Bhagva ) | Hindi poetry

भगवा केवल रंग नहीं हैं ये अभिमान हमारा हैं सदियों से जिसने दिया प्रेम का वो संदेश हमारा है                                              भगवा क्षमाशीलता, प्रेम, बंधुत्व विशाल ह्रदय परिचायक हैं भगवा को अब रंग न कहना भगवा सर्वोच्च गुण अधिनायक है भगवा क्या क्या सिखलाता ये जान अगर तुम जाओगे फिर भगवा केवल रंग न होगा तुम भगवा रंग रंग जाओगे राणा की प्रेरणा भगवा है संकल्प शिवा का भगवा है आजाद हुए हर एक कण में जो लिखा हुआ वो भगवा है जो स्त्री सम्मान करे जो हर धर्म का मान करे जो ह्रदय दया का भाव भरे जो कभी नहीं भेदभाव करे ये सब भगवा ही भगवा है हाँ मेरा तन मन भगवा है हाँ मेरा जीवन भगवा है भगवा के सर्वोच्च गुणों में जो भी रंगा वो भगवा है भगवा का मतलब पहचानों भगवा को रंग ना तुम मानों भगवा संताप मिटाता है "वसुदेव कुटुंबकम" जैसा नारा भगवा ही दे पाता है भगवा केवल हिन्दू  नहीं हैं धर्मं यह पर बिंन्दु नहीं है भगवा की पहचान यहीं करता सद्गुण में...

लौटकर आ रहा हूँ ( Loutkar Aa Rha Hun ) | Hindi Poetry | motivational poem

आज कल खुद को भटका रहा हूँ जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ मुश्किल था यूँ लौट कर आना जो उठ गए थे कदम उन्हें पीछे हटाना खुद को यूँ कहीं से ढूंढ कर ला रहा हूँ जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ शायद सपनो की बाहों में खो गया था कुछ बातों में उलझकर रह गया था आज उलझनों को  तोड़कर आ रहा हूँ जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ सब छोड़ गए साथी  पर हम ना भागे हठ की थी हमने बढ़ने की आगे आज हठ तोड़कर लौटकर आ रहा हूँ जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ बढ़े थे पाने को जिसको अब वो मंजिल नहीं है इस कस्ती का अब कोई साहिल नहीं हैं अब सब भूलकर लौटकर आ रहा हूँ जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ कवि - महेश "हठकर्मी " प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत  Update मिल जाये। लौटकर आ रहा हूँ ( Loutkar Aa Rha Hun ) | Hindi Poetry | motivational poem    कविता उत्साहवर्धक कविता है जो भटक...

तो क्या हुआ (To Kya Hua ) | Sad Breakup Poetry in Hindi

उसने छोड़ा मुझे तो क्या हुआ  दिल तोडा मेरा तो क्या हुआ देखकर ज़माने की बेरुखी साथ छोड़ा मेरा तो क्या हुआ हसरते थी बहुत साथ जीने की उसके हुई न कोई हसरत पूरी तो क्या हुआ दिखाये थे उसने ख्वाब बहुत सारे देखे थे मेने भी ख्वाब बहुत सारे न हुआ कोई ख्वाब मुक़म्मल तो क्या हुआ छोड़ा उसने मुझको कोई मज़बूरी रही होगी दिल के कोने में कही वो भी तड़पती रही होंगी कह न सकी जाने से पहले कुछ तो क्या हुआ प्यार करती है मुझसे दिल में यही कहती रही होगी प्यार था उसका सच्चा फिरभी छोड़के जाना पड़ा शायद उसे प्यार से बड़ा कोई फर्ज निभाना पड़ा सहकर सब कुछ कुछ न कह सकी तो क्या हुआ प्यार था मुझको उससे , है मुझको उससे बस संग न होंगे हम तो क्या हुआ सांसे तो जुडी है हमारी एक दूजे के संग बस कुछ रिश्ते न जुड़ सके तो क्या हुआ दूर है बहुत पर सदा पास होंगे जुदाई के आलम में भी साथ साथ होंगे यु ही मिलते रहेंगे ख़्वाबो में हरदम मिले न हकीकत में तो क्या हुआ कवि  -  महेश "हठकर्मी" प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करे...

जरा सी बात ( Jara si Baat ) | Love Poetry in Hindi

जरा - जरा सी बात पर उखड़ती हो क्यों बात हैं इतनी सी इतना करती हो क्यों गुस्सा जो तेरी आँख में लगता मुझे तो प्यार हैं फिर प्यारी बातें भला गुस्से में करती हो क्यों जरा - जरा सी बात पर उखड़ती हो क्यों बात हैं इतनी सी इतना करती हो क्यों गुस्से में तेरे चेहरे पर कुछ लाली और आ गई आँखों में तेरे प्यार की खुमारी और छा गई गुस्सा तो मुझसे हो नहीं फिर इतना बनती हो क्यों जरा - जरा सी बात पर उखड़ती हो क्यों बात हैं इतनी सी इतना करती हो क्यों तुझको पता है प्यार तो  हैं मुझको भी तुझसे बहुत फिर भला गुस्से में ऐसा करती हो क्यों जरा - जरा सी बात पर उखड़ती हो क्यों बात हैं इतनी सी इतना करती हो क्यों ये माना की अधिकार हैं, रूठना मुझसे तेरा पर भला यूँ  टुकड़े दिल के करती हो क्यों जरा - जरा सी बात पर उखड़ती हो क्यों बात हैं इतनी सी इतना करती हो क्यों कवि - महेश "हठकर्मी" प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत  Update मिल जाये। जरा सी बात ( Jara si...

बावली सी लड़की (Bawali Si Ladki ) | Love Poetry in Hindi

वो बावली सी लड़की ख्वाबों में आ रही है जाने मुझे क्यों इतना आजकल सता रही है कुछ बोलती नहीं बस देखती है मुझको मानो वो प्यार मेरा यु ही आजमा रही है लड़ती झगड़ती रहती थी कभी वो मुझसे यारों आजकल तो बातचीत भी न हो पा रही है कभी रूठती थी मुझसे , कभी यु ही मान जाती कभी बात मान लेती , कभी अपनी ही चलाती मुस्कराहटे भी उसकी कहीं खोती जा रही हैं लब पे हंसी है पर , न पहले सी खिलखिला रही है कोई बात है जहन  में जो उसको सता रही हैं वो बावरी सी लड़की ख्वाबों  में आ रही है कभी नजरे मिला रही है कभी नजरे चुरा रही है कहना चाहती है कुछ , कुछ ना कह पा रही है ना चाहते हुए भी कितना सता रही हैं ये बेचैनी बेकरारी बढ़ती ही जा रही है वही बावरी सी लड़की  ख्वाबों  में आ रही है जाने क्या मन में उसके, क्या जाने छुपा रही है मासूम सी छवि वो मुरझाए जा रही हैं न सखियों से कुछ भी कहती , गुमसुम सी बैठी रहती जाने क्या बात है जो सबसे छुपा रही है वही बावरी सी लड़की ख्वाबों में आ रही है कह दे तो जान लू मैं , कुछ दर्द बाँट लू मैं हो कोई भी मुसीबत उसका हाथ थाम लू म...

प्रयास करो ( Prayaas Karo ) | Motivational Poetry in Hindi

प्रयास करो प्रयास करो जब तक हारो लगातार करो बिना लड़े जीत या हार नहीं होती यूँ ही तूफानों से नौका पार नहीं होती नाविक जब हिम्मत लाता हैं नौका तूफा में पार ले जाता हैं चींटी जब जिद पर आती हैं सौ गुना भार ले जाती हैं हठ चींटी सी पाओ तुम अर्जुन का तीर बन जाओ तुम जब तक ना लक्ष्य पाओ तुम हर विराम तज जाओ तुम यूँ न डरकर घने अंधेरों से तुम हिम्मत का त्याग करो प्रयास करो , प्रयास करो जब तक हारो लगातार करो नभ पर सूरज सा चढ़ जाओ तम से किरणों सा लड़ जाओ अपने को तुम पहचानों अब क्षमताओं को अपनी निखारों अब अब पथ पे न पीछे पाँव हटे हो मुश्किल कितनी भी रहो डटे प्रयास करो अब बार-बार एक दिन लक्ष्य को पाओगें पाकर अम्बर पर छाओगें न यूँ हारों से धैर्य खोकर आशाओं का विनाश करो प्रयास करो , प्रयास करो जब तक हारों लगातार करो कवि - महेश "हठधर्मी" प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत  Update मिल जाये। प्रयास करो ( Prayaas Karo ) | Motivational P...

अन्नदाता ( Annadata ) | Hindi poetry

हे  अन्नदाता अन्न तेरा खाके हम बड़े हुए हम बड़े आगे को लेकिन तुम हो अब भी वही खड़े मेहनत से उपजा अन्न तेरा ,देश को जीवन नया दे जाता है पर मूल्य उस ही अन्न का ,घर तेरे खुशियां नही ला पाता है कभी कभी तो कुदरत भी तुझ पर कहर बनकर टूटती सूखा कभी ,कभी बाढ़ आके सपनों को तेरे तोड़ती पर तू है जिद्दी मेहनती कभी मानता ना हार है हो बाढ़ , सूखा या अकाल उपजा के रहता अनाज है तू बंजर भूमि पर जब मेहनत से हल चलाता है जहाँ उपजा न करता झाड़ था , आज वहां अनाज लहराता है उपजाये तेरे इसी अन्न से फल फूलता ये समाज है फिर भी न सर पे पगड़ी तेरे , पाँव में न खड़ाव है कहने को भले ही तुझपे दुनिया का लाखों का कर्ज उधार है पर वास्तविकता में , हे अन्नदाता कर्ज तेरा हम सभी पर उधार हैं आधार हैं तू हर देश का , तू है तो ये संसार हैं कवि - महेश "हठधर्मी" प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत  Update मिल जाये।  अन्नदाता ( Annadata ) | Hindi poetry...

आखरी काफिला ( Aakhari Kafeela ) | Hindi poetry

आज कफन ओढ़कर हम जिधर चल दिए आखरी में सभी उधर आयेंगे कोई आज चल दिया , कोई कल आयेगा आखरी में काफ़िले सब उधर आयेंगे मंजिले है कई जिंदगी की मगर मौत के बाद तो सब उधर आयेंगे मुश्किलें है कई राहों में खड़ी कभी दुःख है कहीं , कभी सुख की घड़ी जी लिये जो मिले हमको पल थे सभी अब न पल हैं बचें जो गवां पायेंगे आज कफ़न ओढ़कर हम जिधर चल दिये आखरी में सभी उधर आयेंगे कफ़न ओढ़कर हमको मालूम हुआ न हैं रिश्ता कोई , न कोई नाता यहाँ लाश होते ही हमको उठा ले चले अपने ही घर से कर विदा ले चले चलिये चलते हैं अब ना कभी आएंगे आखरी काफ़िला हैं मेरा तो यहीं आज मैं चल दिया कल को तुम आओगें आज कफ़न ओढ़कर हम जिधर चल दिये आखरी में सभी उधर आयेंगे कवि - महेश "हठधर्मी" प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत  Update मिल जाये। आखरी काफिला ( Aakhari Kafeela ) | Hindi poetry कविता जिंदगी की कड़वी सच्चाइयों का चित्रण हैं। इस कविता में यह कल्पना की गई की अगर मुर्दा व्यक्ति बोल पात...

भोली भाली लड़की ( Bholi Bhali Ladki ) | Love Poetry in Hindi

आज रात फिर सपने में आई वही लड़की देखकर जिसे थी मेरी बायीं आँख फड़की देखा जो मेने उसको वो हर बार की तरह मुझपें  भड़की बोली हूँ मैं परी न अप्सरा , मैं हूँ गाँव की साधारण सी लड़की बता तू मुझको क्यों ऐसे देखता है जैसे देखी ही ना हो लड़की मैं बोला भले तू न है परी , न अप्सरा , पर है बेमिशाल लड़की जो तेरे दिल में प्यार है , मोहब्बत है अपनापन है नहीं रखती दिल में अपने हर एक लड़की देखी तो है मेने लड़कियाँ पर तुझसी नहीं देखी जो मैं कुछ कहूं तब भी मुझपे भड़की और ना कहूं तब भी मुझपे भड़की हो  गई है मुझको तुझसे मोहब्बत ये गांव की प्यारी सी भोली भोली सी लड़कियां सुना जो उसने सबकुछ फिर वो मेरी तरफ पलटी न कुछ कहा , न सुना , मुस्कराई और चल दी   कवि - महेश "हठधर्मी" प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत  Update मिल जाये।   भोली भाली लड़की ( Bholi Bhali Ladki ) | Love Poetry in Hindi  कविता में एक भ...

तेरा साथ हो ( Tera Sath Ho ) | Love Poetry in Hindi

कट जायेंगे ये रस्ते सभी , गर हाथों में मेरे तेरा हाथ हो कुछ मिले ना मिले इस जहां में मुझे , मगर मुझकों तो बस तेरा साथ हो जीने को तो यु ही जी लेंगें तन्हा , पर तू साथ हो तो क्या बात हो बहारें - बहारें ही होंगी दिल के चमन में , कुछ भौंरे कलियाँ भी मुस्काती होंगी कुछ फूल पति लगी होगी डाली पे मन की , कुछ चिड़ियाँ घरौंदे बनातीं भी होंगी सुगन्धित , प्रफुल्लित मन होगा मेरा , मुस्काने भी होठों पे आती ही होंगी स्वर्ग सा सुन्दर घर होगा मेरा , खुशियाँ वहाँ मुस्काती भी होंगी हर दिन लगेगा त्यौहार जैसा , जो पायल आँगन में तेरी रूनझुनातीं होंगी मुझको मिल जायेंगे सुख इस जहाँ के सभी , जब संग माँ के बैठ तुम बतियातीं होंगी सच कह रहा हूँ तुम्हारे बिना , न कहीं मेरी ये दुनियाँ मुस्काती होंगी जिस तरहा मिलती हो ख्वाबों में मुझको , जो मिलो तुम हक़ीकत में क्या बात हो मिले ना मिले फिर जहाँ से मुझे कुछ , बस हाथों में मेरे तेरा हाथ हो मैं मानूँगा खुद को बड़ा खुशनसीब , गर नसीबों मेरे तेरा साथ हो कट जायेंगे ये रस्ते सभी ,गर हाथों में मेरे तेरा हाथ हो ...

खत -ए -मोहब्बत ( Khat-E-Mohobbat ) | Love Poetry in Hindi

रातभर की कोशिश बहुत अरमां दिल के लिख डालू मैं भी सनम के नाम अपने खत -ए -मोहब्बत लिख डालू फिर सोचा दो पल रुक जाऊ , फिर सारे अरमां लिख डालू वो नयनो के टकराने का किस्सा किस्सा लिख डालू तू बसा मेरे कहाँ किस हिस्से में वो हिस्सा हिस्सा लिख डालू वो नयनों से हुई सब बातों का कच्चा चिठ्ठा लिख डालू परवाह नहीं दुनियां की मुझको , जो दिल ने कहा सब लिख डालू वो बेचैनियां , बेकरारियाँ , रातों का जगना लिख डालू विरहा में पिये हलाहल का कतरा कतरा लिख डालू तेरे खाव्बों में आने पर , आने पर आकर जाने पर हर शब्द कहानी लिख डालू औरों की नहीं अब अपनी जुबानी सारी कहानी लिख डालू जब -जब मैं तुझसे मिलता तुझमे ही कहीं खो जाता हूँ खोकर मेरे ना मिलने की ये अजब कहानी लिख डालू नजरें मिलना , मिलकर झुकना , झुककर उठना सब लिख डालू वो बिन कहे सब कहने का ,तेरा अंदाज नया सा  लिख डालू मैं भी सनम के नाम अपने , अब खते मोहब्बत लिख डालू कवि - महेश "हठधर्मी" प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता...

ठहर जा ऐ जिंदगी ( Thahar Ja E Jindgi ) | Sad Poetry in Hindi

ठहर जा ऐ जिंदगी , क्यों उथल - पुथल मचा रही दो पल तो ठहर जा कभी , बैठूँ कहीं सोचूँ जरा क्या हासिल हुआ , क्या खो दिया हैं बिखरी पड़ी यादें कई , रुक तो जरा समेट लूँ है इनमें कुछ पल खास वो , जो मिले मुझे नसीब से इन्हीं पलों को आँखों में फिर से जरा समेट लूँ चलना तो हैं हमको निरंतर , रुकना नहीं  थकना कहाँ अब जो भी मिले भाग्य में , सहना यहीं जाना कहाँ घड़ियाँ बची जो आखरी , हाथों से फिसले जा रही ठहर जा ऐ जिंदगी , क्यों उथल - पुथल मचा रहीं विश्वास था जिनके साथ का , वो ओझल कहीं पे हो गए कौन लगाता पार नौका , जब स्वयं नाविक नौका डुबो गए पसरा हुआ सन्नाटा अब , गम की कड़कती धुप हैं हैं पाँव में छाले कई , मंजिल अभी भी दूर हैं गुजरा हुआ ये वक्त ना लौटकर फिर आयेगा बस जरा सी यादों में सिमटकर रह जायेगा फिर जानबूझकर , तू क्यों इतना मुझे सता रही ठहर जा ऐ जिंदगी , क्यों उथल - पुथल मचा रहीं कवि - महेश "हठधर्मी" प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत ...

हाल-ए-दिल ( Haal-E-Dil ) | Sad Poetry in Hindi

अब कभी ना मिट सकेगी मुझको ऐसी प्यास है इस जहाँ  में ना कही  मेरे दर्द का इलाज है बात ये वो बात क्या तेरी हर बात मुझको याद है याद है वो रहना तेरा दर पे निगाहें टिका के याद है वो कहना तेरा तुझसे ही मुझको प्यार है याद है मेरे नहीं आने पे तेरा रूठना अब तेरे जाने से मेरी न दुनिया कही आबाद है अब तो जीने की भी मुझमे ना बची कोई आस है ढूंढ़ता हूँ खुद को खुद में खुद की मुझे तलाश है सुबह शाम हरवक्त दिनभर पल-पल में तेरी याद है ना पा सकूंगा खुद को मैं बेकार ये तलाश है मिट गई आने की तेरी हर आस फिर भी आस है जो न हम पा सके तुझे तो फिर किस काम की ये साँस है मुझको मेरी यादों से ज्यादा याद तेरी याद है ना जी सकूँ जहाँ  में तेरे बिन इसलिए ये अरदास है थाम दे वो साँस मेरी हर साँस पे तेरा नाम है अब कभी ना मिट सकेंगी ऐसी मुझको प्यास है कवि - महेश "हठधर्मी"  प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत  Update मिल जाये। हाल-ए-दिल ( H...

हँसी  ( Hanssi ) | Hindi Motivational poetry

हँसना भी एक हुनर होता है न ये हर कहीं, न हर डगर , न हर रहगुजर होता हैं आँसुओं को आँखों में छुपाना बेहतर होता हैं जो झलक आये आँखों से आँसू उन्हें आँखों से झलक जाने दो कुछ को पलकों पे कुछ को गालों पे सज जाने दो आँसू  ही हैं आखिर , आंसुओं को आँसू बनके बह जाने दो बह निकले जब सारे आँसू फिर से वही मुस्काने होठों पर आने दो हम सीख लिए ऑंसुओ से हँसना अब जरा ज़माने को सिखाने दो कवि - महेश "हठधर्मी" हँसी  ( Hanssi ) | Hindi Motivational poetry  एक लघु कविता है जिसमे हँसी के महत्व को समझाने का प्रयास किया गया हैं। 

कहानी होनी चाहिए ( Kahani Honi Chahiye ) | Hindi motivational poetry

जिये  जो जिंदगी तो फिर कहानी होनी चाहिए जवानी में तुम्हारी एक रवानी होनी चाहिए बहा वतन के वास्ते जो कतरा - कतरा खून का उस खून की भी एक तो निसानी होनी चाहिए निशानियाँ तो रखते हैं गुजरे वक्त की सभी मगर निशानियों की एक बड़ी कहानी होनी चाहिए हम रहे या ना रहे बयान करने वास्ते मगर जुबानी औरों की बयान होनी चाहिए जिये जो जिंदगी तो फिर कहानी होनी चाहिए कमाई ना हो दौलते , चाहें शोहरते हांसिल न हो हाँ मगर तेरे कर्म में भलाई होनी चाहिए भले खुश हो सका ना कर सका पर वजहा से तेरी , किसी आँख में न रुलाई होनी चाहिए जो आये जहाँ में सभी , जायेंगे एक दिन मगर जाने से पहले एक तो , निशानी होनी चाहिए जिए जो जिंदगी तो फिर कहानी होनी चाहिए ........ कवि - महेश "हठकर्मी"  कहानी होनी चाहिए ( Kahani Honi Chahiye ) | Hindi motivational poetry कविता में व्यक्तियों से जीवन काल में कोई विशेष कार्य करने की प्रेरणा दी गई हैं। अगर आप इस कविता से प्रेरित होते है तो हमारे प्रयास सफल हो जायेंगे। 

दुनियाँ की सच्चाई (Duniyan Ki Sachchaai) | Sad Poetry in Hindi

ऐ दुनिया बता तेरी सच्चाई क्या हैं सबकुछ हैं मिथ्या , सबकुछ झूठा यहाँ हैं लगते हैं सारे चेहरे भोले यहाँ पर हैं नकाब किसपे कैसा किसको पता हैं अपने तो देते यहाँ घांवों पर घाव हरदम शुक्र हैं , लगाने को मरहम कोई तो पराया मिला हैं हैं सच्चाई कैसी , ये कैसी व्यथा हैं जो देता जीवन की राहों में साथ मेरा आज कांटे बिछाते राहों में मिला हैं जो पूछे हम उनसे कुछ तो पूछे भी कैसे कुछ पूछने का बाकि हक, अब बचा ही कहाँ हैं ऐ दुनिया बता तेरी सच्चाई क्या हैं दुखों के डेरे , यहाँ  बिखरे द्वार - द्वार पर कुछ तो बता गया वो प्रेम कहाँ हैं सब कर रहे केवल सिध्द स्वार्थ अपने अपनापन मध्य से गायब हुआ तो कहाँ हैं जो करतें हैं बातें मुहं पर , मधु से भी मीठी चल रहा जहन में उनके , क्या किसको पता हैं हम तो लिये बैठे केवल प्रेम रंग लेकिन चढ़ा किस चेहरे पर , क्या रंग क्या पता हैं ऐ दुनिया बता तेरी सच्चाई क्या हैं कवि - महेश "हठकर्मी" दुनियाँ की सच्चाई   | Sad Poetry in Hindi  इस जहाँ  की वास्तविकता को व्यक्त करने वाली कविता हैं। इस कविता मे...

दर्द - ए - जहाँ (dard-e-janha ) | Sad poetry in Hindi

दर्द पराया हम क्या जाने जिस तन बीती वो तन जाने घाव हरे या गहरे कितने जिस तन लगे वो तन पहचाने तन के घाव तो हैं मिट जाने मन के घाव मिटे तो जाने देंगे साथ कह गये सभी पर जो दे कोई साथ तो हम भी जानें सुख में था संसार साथ पर अब संकट में ना कोई जाने जैसे मिटता पतंगा ज्वाला पर आखिर एक दिन हम भी मिट जाने न हैं कलह किसी से , न हैं बेर यहाँ हम प्रेम के पंछी बन उड़ जानें नहीं रहेंगे हम सदा यहाँ बस कुछ अवशेष शेष रह जाने कवि - महेश "हठधर्मी" दर्द - ए - जहाँ (dard-e-janha ) | Sad poetry in Hindi कविता सांसरिक दुखों की अभी व्यक्ति हैं।  यह कविता काफी तक एक motivatinal poem भी  हैं।  

असमंजस (Confusion) | Sad Poetry in Hindi

मैं परेशां हो चूका हूँ अब नहीं होता सहन समझ में आता नहीं , क्या हैं सच , झूठ क्या जितने मुहं हैं बातें उतनी , मैं करू किस पर यकीं कोई कहता बात ये हैं , कोई कहता बात ये चेहरे हैं बिलकुल वही , किन्तु नजरिया बदल गया सोंचा कब था क्या मिलेगा , क्या मिला , क्या हो गया मैं तो अपने ही यकीं पर , यकीं निरन्तर करता गया हर किसी की बात को सर आँखों पर रखता गया हर्फ़ -हर्फ़ पर था यकीं , हर हर्फ़ ने दिल को छुआ क्या सुनाऊ दास्ताँ मैं जो कहा करता गया अब तो मुझ पर कर यकीं , कुछ तो कह दे बात क्या सच जानने का भी मुझे न बाकि रहा अधिकार क्या अंधियारों से घिर चूका हूँ , अब तो जला दे तू शमा कोहरे ये छटते नहीं , न ये एकाकीपन कटता यहाँ सुने हुए अब इस चमन में न गुल कोई खिलता यहाँ खुशियाँ कहीं गुमसुम सी हैं , पसरा हैं केवल सन्नाटा सोंचता हूँ कब सहर होगी , कब मिलेगा उजियाला अब कर भी ले मुझ पर यकीं , कुछ तो कह दे बात क्या हैं अभी भी तस्वीर वैसी , किन्तु नजारा बदल गया हैं सूरत अभी भी वैसी की वैसी , सीरत में कुछ तो बदल गया आया तो हैं भूचाल ऐसा जो सारा नजारा बदल गया हालात , हालत सब...

आलम -ए -बेवफाई | Sad Poetry in Hindi

इन गुमनाम राहों से हम भी गुजरे थे कभी मिला जो गम यकीं नहीं आया इन खुशनुमा राहों से हम भी गुजरे थे कभी देखें तो हैं आयने टूटते बहुत टुटा जो दिल , तो टूटने का दर्द समझ आया अभी अपने सारे गम दिल में छुपाये जी रहे है अपने आप को अपने में समाये जी रहें है न बताया ये किसी को , न बतायेंगे कभी मिला हैं जो भी इस जहाँ से , न यूँ सरेआम दिखायेंगे कभी भले वो छोड़ जाये मुझे यूँ ही राहों में भटकने को लेकिन न उसको हम यूँ भटकायेंगे कभी हो सकता हैं भुला दे वो मेरी यादों को सहज ही पर न उसको यूँ आसानी से हम भुला पायेंगे कभी कवि - महेश "हठकर्मी " आलम -ए -बेवफाई (aalam-e-bewafaai ) | Sad Poetry in Hindi  ग़मगीन प्रेमी के गम की अभिव्यक्ति है। जो प्रेमिका द्वारा भुलाया जा चूका है। 

आयने के सामने | love poem in hindi

आयने के सामने जो रोज मैं कहता रहा जो तुम आज आयी सामने क्यों कुछ भी नहीं कह पा रहा कहना तो हैं कुछ और ही कुछ और ही कहे जा रहा निकला जो नजर से तीर हैं होके पार दिल के जा रहा कैसे कहूँ मैं ओ सनम , मैं तुझको कितना चाह रहा तेरी चाहतों में आजकल खुद को भी भूले जा रहा सुध अब मेरी मुझको कहाँ ? , बस तू जहन में आ रही लगता है मुझको आजकल , तू मेरी हर साँस में समा रही है बेताबियाँ दिल में मेरे कब तुझसे दिल की बात हो जो जहन में चल रहे साकार सारे ख्वाब हो कुछ तुम कहो , कुछ मैं कहूँ , बस प्रेम की बरसात हो तेरे खूबसूरत नयनों से नयनों की मेरे बात हो बस यूँ ही देखता तुझको रहूँ , ना आज फिर ये शाम हो आये वो दिन भी जिंदगी में , जब तू बन हमसफ़र मेरे साथ हो कैसे कहूँ हालात-ए-दिल , तू ही समझ ले तो बात हो अब भी कहना तो हैं मुझको बहुत , पर इतना ही कहकर जा रहा ख़्वाबों में भी अब मुझे , बस ख्वाब तेरा आ रहा कवि - महेश "हठकर्मी " आयने के सामने | love poem in hindi  कविता में उस स्थिति का चित्रण किया गया जब प्रेमी अपनी प्रेमिका को propose करना चाहता हैं, परन्तु कह नहीं पाता । उस स्थिति ...

खुश हो न हो | Sad poetry in Hindi

हो भले आँखों में आँसू , मुस्काना पड़ेगा निभा रहे हैं ये रिवाज दुनियाँ में सभी आपको को भी अब इसे निभाना पड़ेगा फूलों कभी सूलों को गले लगाना पड़ेगा खुश हो न हो , खुद को खुश दिखाना पड़ेगा सहकर हर इक गम मुस्काना पड़ेगा अब होठों पर हँसी को भी सजाना पड़ेगा और बना के धुंआ गम को उड़ाना पड़ेगा हो डगर किसी भी चलके जाना पड़ेगा खुश हो न हो , खुद को खुश दिखाना पड़ेगा किया जो प्रेम तो , प्रेम निभाना पड़ेगा अब चाहे मिले खुशियाँ या चाहे मिले गम हर हाल में लेकिन मुस्काना पड़ेगा पाना अगर है प्रेम तो मिट जाना पड़ेगा खुश हो न हो खुद को खुश दिखाना पड़ेगा आएँगी विपत्तियां प्रेमराह में घनघोर जुटा के साहस इनसे भी टकराना पड़ेगा सुध-बुध  को इस जहाँ की भुलाना पड़ेगा खुद को मीरा सा दीवाना बनाना पड़ेगा खुश हो न हो , खुद को खुश दिखाना पड़ेगा कवि - महेश "हठकर्मी"  खुश हो न हो | Sad poetry in Hindi  खुशी, गम, प्रेम और जीवन के उतार चढ़ाव की कविता हैं।  कविता  खुश हो न हो | Sad poetry in Hindi  को पढ़ कर कवि को अनुगृहीत करें। हम आपके सहयोग के लिए आभारी  ...

प्यार | love poem in hindi for girlfriend

इसी तलक मैं तुम्हें प्यार करता जाऊँगा चलो जो राह वहीं राह चलता जाऊँगा तुझें कभी लबों पे कभी आँखों में सजाऊँगा मैं इसी कदर तुम्हे प्यार करता जाऊँगा मैं तेरी पायल में झनझनाऊँगा मैं तेरी बिंदियाँ में जगमगाऊँगा मैं संग तेरे कंगन के खनखनाउंगा मैं इसी कदर तेरी हर साँस में समाऊँगा बनी जो राधा तुम तो मैं भी श्याम बन जाऊँगा मैं तुझे न इक पल भी भूल पाऊँगा तेरी आँखों में अश्क न आये इस वास्ते हर गम में मुस्कराऊँगा मैं इसी तलक तुम्हें प्यार करता जाऊँगा कवि - महेश "हठकर्मी " "प्यार" love poem in hindi for girlfriend  प्रेमी की प्रेमिका के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति है। इस कविता को पढ़े और "प्यार" love poem in hindi for girlfriend  कविता के कवि  को कृतार्थ करे। हम आपके सहयोग और योगदान के लिए आपके आभारी हैं 

हल्दीघाटी | Hindi poetry

बरछी से बरछी टकराई , तलवार लड़ी तलवारों  से तब तीर चले तलवार चले , चले भाले पैदल और अश्व सवारों पे चेतक पे राणा हो सवार आ गए रण में रण बाँको से राणा अरिदल पर टूटे ऐसे जैसे सिंह टूट पड़ा मृगछानो पे राणा दल  ने मुगलों के सिरों को काट दिया धरती को शवों से पाट दिया राणा पूछे वो मान कहाँ , जो करता मुगलों का गान यहाँ चेतक भी हवा से बात करे अरिदल पर रण में घात करें मुण्ड कटे गज झुण्ड कटे , धरती शोणित से लाल हुई राणा का साहस देख - देख , मुगल सेना भय से त्रस्त हुई तब ही राणा ने देख लिया मान युद्ध कर रहा हाथी पर जिस स्वाभिमान को गिरवी रख ये मान चढ़ा इस हाथी  पर आज मारकाट इस मान को , उस स्वाभिमान को मुक्त कराऊंगा मुगलों  और मान को मार काट केशरियाँ ध्वजा लहराऊंगा राणा ने मन में ये कर विचार मान पे धावा बोल दिया तब चेतक आगे बड़ा चला अरिदल को पांवों से रोंद दिया चेतक ने लगाई छलांग विकट , पांवों को हाथी मस्तक पर अड़ा दिया तब राणा ने मान को लक्ष्य बना भाले से प्रबल प्रहार किया भाला लक्ष्य से चूक गया टल गया मान प्राणों  से संकट झाला ने ये सब देख लिया , सोंचा...

बेवफा | sad poetry in hindi

एक बेवफा ने मुझको ऐसे भुला दिया टुटा हो कोई घर उसको जला दिया जलते हुए घर से लपटें निकल रही मानो ये आग आज मेरे दिल में लग रही देखा ना बेवफा ने सबकुछ जला दिया यादें सब जला दी , सपना जला दिया दिल का हर इक कोमल भाव जला दिया वो ख्वाबों का मंडप , महल जला दिया सिर बचा है पर सेहरा जला दिया एक बेवफा ने मुझको ऐसे भुला दिया काँटों से सजी सेज उस पर सुला दिया काँटे ये सेज के दिल मेरा भेदते सोचता हूँ आज ये केसा सिला दिया आँखों से आखरी अश्क तक बहा दिया मुस्कराते चेहरे पर गम को सजा दिया एक बेवफा ने मुझको ऐसे भुला दिया हंसना था हमको संग पर उसने रुला दिया कवि - महेश "हठकर्मी " bewafaa (बेवफा  कविता )  एक  sad poetry in hindi  है  इसमे  lover की बेवफाई को दर्शाने का प्रयास किया गया है। इसे पढ़े और यदि आपको पसंद आये तो  कवि का उत्साहवर्धन करें।

मेरी चाहत | sad poetry in Hindi

मिल गया तुम्हे कोई आज हमसे हसी तो क्या हम तो तुम्हे अब भी चाह ही रहे है आये ना आये तुम मिलने को हमसे लेकिन हम तो अभी भी आ ही रहे है भुला दोगे चाहे यादों को सारी लेकिन आँखों में अब भी आ ही रहे है मिले ना मिले तुमको चैनों सुकून कही हम तो अभी भी चैन गवा ही रहे है टूटे दिलो के कतरे जुड़ते नहीं है फिर भी कोशिशें हम किये जा रहे है भूल गया तू वो वादे वो यादे शायद हम तो अभी भी दिल से निभा ही रहे है मिटा ना सके हम खुद को औ यारा लेकिन यादों  को तेरी भी ना मिटा हम रहे है कवि - महेश "हठकर्मी"  meri chaahat (मेरी चाहत ) sad poetry in hindi है इसमे एक प्रेमी ( lover ) के दुख को दर्शाया गया है। ये अद्धुनिक girlfriend boyfriends पर आधारित कविता हैं | 

कर्ज ( Karz ) |Hindi Poetry

Karz - Hindi Poetry कुछ कर्ज है हम पर आज भी  जो हम चूका नहीं पाये  सम्मान क्या देंगे हम उनकी शहादत को  जिनके सजदे में सिर तक झुका नहीं पाये उनको सपनों में जंजीर दिखती थी  मेरी माँ भारती की पीर दिखती थी लड़ने को दुश्मनो से शमशीर दिखती थी  जिंदगी उन्हें कभी दिखी ही नहीं  उन्हें वतन पे मरने में अनोखी जीत दिखती थी  हम उनके जैसे कैसे बनेंगे  हम तो पदचिन्हों पर चल भी नहीं पाये  वो वतन को दिलों जान दे गए  हम वतन....... "मेरा वतन" कह भी नहीं पाये चोटिल थे पैर तो डगमगाकर चले वो  त्योरियों को अपनी तनतना कर चले वो  होश दुश्मनों के हरदम उड़ाकर चले वो  उनकी बराबरी हमसे होगी भी कैसे  फाँसियों के फंदों पे मुस्कराकर चढ़े वो  चढ़कर फंसियों पर भी वो "इंकलाब बोले" हम आजाद होकर "जय हिन्द" ढंग से बोल नहीं पाये  वो लोग कुछ और थे जो मिट गए वतन पर  और हम है जो वतन के हो ही नहीं पाये    कवि - महेश "हठकर्मी" कर्ज ( Karz ) |Hindi Poetry हमारे शहीदों के बलिदान की छोटी स...