मैं तो एक शायर हूँ मैं तो एक शायर हूँ सबकुछ सह लूँगा अपना दर्द अपने शब्दो से कह लूँगा तू बता ये सबकुछ सहेगी कैसे हुए अगर हम जुदा तो जुदा रहेगी कैसे गम इसका मुझको भी होगा तुझको भी होगा पर ये दर्द-ए-दिल हम सहेंगे कैसे जुदा हो गए तो जुदा रहेगें कैसे दूर हो या पास जुदाई तो होगी जुदा हुए तो रुसवाई भी होगी इस जुदाई के आलम में एक दूजे की धड़कन सुनेगें कैसे जुदा हो गए तो जुदा रहेंगे कैसे मैं तुम्हे अपना सबकुछ बना ही चूका हूँ आगामी जीवन के सपने सजा ही चूका हूँ जो टूटे ये सिलसिले तो वो सपने टूटेंगे कैसे जुदा हो गए तो जुदा रहेंगे कैसे जो सपने टूटना है टूटे, यूँ रब रूठना है रूठे दुआ तो यही हैं तेरा संग कभी न छूटे संग छूटा तो टुकड़े दिल के समेटेंगे कैसे जुदा हो गए तो जुदा रहेंगे कैसे कवि - महेश "हठकर्मी " प्रिय पाठकों , यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत Update मिल जाये। एवं पाठक गणों कविता पसन्द आये तो आपने मित्रों के साथ share करे। ...
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