हँसना भी एक हुनर होता है
न ये हर कहीं, न हर डगर , न हर रहगुजर होता हैं
आँसुओं को आँखों में छुपाना बेहतर होता हैं
जो झलक आये आँखों से आँसू
उन्हें आँखों से झलक जाने दो
कुछ को पलकों पे कुछ को गालों पे सज जाने दो
आँसू ही हैं आखिर , आंसुओं को आँसू बनके बह जाने दो
बह निकले जब सारे आँसू
फिर से वही मुस्काने होठों पर आने दो
हम सीख लिए ऑंसुओ से हँसना
अब जरा ज़माने को सिखाने दो
कवि - महेश "हठधर्मी"
हँसी ( Hanssi ) | Hindi Motivational poetry एक लघु कविता है जिसमे हँसी के महत्व को समझाने का प्रयास किया गया हैं।
न ये हर कहीं, न हर डगर , न हर रहगुजर होता हैं
आँसुओं को आँखों में छुपाना बेहतर होता हैं
जो झलक आये आँखों से आँसू
उन्हें आँखों से झलक जाने दो
कुछ को पलकों पे कुछ को गालों पे सज जाने दो
आँसू ही हैं आखिर , आंसुओं को आँसू बनके बह जाने दो
बह निकले जब सारे आँसू
फिर से वही मुस्काने होठों पर आने दो
हम सीख लिए ऑंसुओ से हँसना
अब जरा ज़माने को सिखाने दो
कवि - महेश "हठधर्मी"
हँसी ( Hanssi ) | Hindi Motivational poetry एक लघु कविता है जिसमे हँसी के महत्व को समझाने का प्रयास किया गया हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें