आज रात फिर सपने में आई वही लड़की
देखकर जिसे थी मेरी बायीं आँख फड़की
देखा जो मेने उसको वो हर बार की तरह मुझपें भड़की
बोली हूँ मैं परी न अप्सरा , मैं हूँ गाँव की साधारण सी लड़की
बता तू मुझको क्यों ऐसे देखता है जैसे देखी ही ना हो लड़की
मैं बोला भले तू न है परी , न अप्सरा , पर है बेमिशाल लड़की
जो तेरे दिल में प्यार है , मोहब्बत है अपनापन है
नहीं रखती दिल में अपने हर एक लड़की
देखी तो है मेने लड़कियाँ पर तुझसी नहीं देखी
जो मैं कुछ कहूं तब भी मुझपे भड़की
और ना कहूं तब भी मुझपे भड़की
हो गई है मुझको तुझसे मोहब्बत
ये गांव की प्यारी सी भोली भोली सी लड़कियां
सुना जो उसने सबकुछ फिर वो मेरी तरफ पलटी
न कुछ कहा , न सुना , मुस्कराई और चल दी
कवि - महेश "हठधर्मी"
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भोली भाली लड़की ( Bholi Bhali Ladki ) | Love Poetry in Hindi कविता में एक भोली भाली लड़की के प्रेम करने के अनोखे तरीके का चित्रण किया गया हैं। ये बहुत ही सामान्य शब्द संयोजन से उत्पन्न कविता हैं। भोली भाली लड़की ( Bholi Bhali Ladki ) | Love Poetry in Hindi कविता के पाठन के लिए पाठकों का हार्दिक धन्यवाद
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