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लौटकर आ रहा हूँ ( Loutkar Aa Rha Hun ) | Hindi Poetry | motivational poem

आज कल खुद को भटका रहा हूँ
जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ
मुश्किल था यूँ लौट कर आना
जो उठ गए थे कदम उन्हें पीछे हटाना
खुद को यूँ कहीं से ढूंढ कर ला रहा हूँ
जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ

शायद सपनो की बाहों में खो गया था
कुछ बातों में उलझकर रह गया था
आज उलझनों को  तोड़कर आ रहा हूँ
जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ

सब छोड़ गए साथी  पर हम ना भागे
हठ की थी हमने बढ़ने की आगे
आज हठ तोड़कर लौटकर आ रहा हूँ
जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ

बढ़े थे पाने को जिसको अब वो मंजिल नहीं है
इस कस्ती का अब कोई साहिल नहीं हैं
अब सब भूलकर लौटकर आ रहा हूँ
जहाँ छूट गया था रास्ता वहीं लौटकर आ रहा हूँ

कवि - महेश "हठकर्मी "

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लौटकर आ रहा हूँ ( Loutkar Aa Rha Hun ) | Hindi Poetry | motivational poem    कविता उत्साहवर्धक कविता है जो भटके हुए राही  को मार्ग दिखाती हैं। लौटकर आ रहा हूँ ( Loutkar Aa Rha Hun ) | Hindi Poetry | motivational poem पढ़ने के लिए धन्यवाद 

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