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असमंजस (Confusion) | Sad Poetry in Hindi

मैं परेशां हो चूका हूँ अब नहीं होता सहन
समझ में आता नहीं , क्या हैं सच , झूठ क्या
जितने मुहं हैं बातें उतनी , मैं करू किस पर यकीं
कोई कहता बात ये हैं , कोई कहता बात ये

चेहरे हैं बिलकुल वही , किन्तु नजरिया बदल गया
सोंचा कब था क्या मिलेगा , क्या मिला , क्या हो गया
मैं तो अपने ही यकीं पर , यकीं निरन्तर करता गया
हर किसी की बात को सर आँखों पर रखता गया

हर्फ़ -हर्फ़ पर था यकीं , हर हर्फ़ ने दिल को छुआ
क्या सुनाऊ दास्ताँ मैं जो कहा करता गया
अब तो मुझ पर कर यकीं , कुछ तो कह दे बात क्या
सच जानने का भी मुझे न बाकि रहा अधिकार क्या

अंधियारों से घिर चूका हूँ , अब तो जला दे तू शमा
कोहरे ये छटते नहीं , न ये एकाकीपन कटता यहाँ
सुने हुए अब इस चमन में न गुल कोई खिलता यहाँ
खुशियाँ कहीं गुमसुम सी हैं , पसरा हैं केवल सन्नाटा

सोंचता हूँ कब सहर होगी , कब मिलेगा उजियाला
अब कर भी ले मुझ पर यकीं , कुछ तो कह दे बात क्या
हैं अभी भी तस्वीर वैसी , किन्तु नजारा बदल गया
हैं सूरत अभी भी वैसी की वैसी , सीरत में कुछ तो बदल गया

आया तो हैं भूचाल ऐसा जो सारा नजारा बदल गया
हालात , हालत सब है बदले शायद मैं भी बदल गया
हैं लहजा अभी भी वैसा का वैसा , व्यवहार शायद बदल गया
वो समय कुछ और ही था , ये समय भी शायद  बदल गया

कवि - महेश "हठधर्मी "



 असमंजस (Confusion) | Sad Poetry in Hindi कविता एक ऐसी स्थिति की अभिव्यक्ति है जब प्रेमी अफवाहों की वजह से असमंजस की स्थिति में है कि वह किस पर विश्वास करे और किस पर नहीं। असमंजस (Confusion) | Sad Poetry in Hindi कविता के पाठन के लिए पाठकों का धन्यवाद 

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