भगवा केवल रंग नहीं हैं
ये अभिमान हमारा हैं
सदियों से जिसने दिया प्रेम का
वो संदेश हमारा है
भगवा क्षमाशीलता, प्रेम, बंधुत्व
विशाल ह्रदय परिचायक हैं
भगवा को अब रंग न कहना
भगवा सर्वोच्च गुण अधिनायक है
भगवा क्या क्या सिखलाता
ये जान अगर तुम जाओगे
फिर भगवा केवल रंग न होगा
तुम भगवा रंग रंग जाओगे
राणा की प्रेरणा भगवा है
संकल्प शिवा का भगवा है
आजाद हुए हर एक कण में
जो लिखा हुआ वो भगवा है
जो स्त्री सम्मान करे
जो हर धर्म का मान करे
जो ह्रदय दया का भाव भरे
जो कभी नहीं भेदभाव करे
ये सब भगवा ही भगवा है
हाँ मेरा तन मन भगवा है
हाँ मेरा जीवन भगवा है
भगवा के सर्वोच्च गुणों में
जो भी रंगा वो भगवा है
भगवा का मतलब पहचानों
भगवा को रंग ना तुम मानों
भगवा संताप मिटाता है
"वसुदेव कुटुंबकम" जैसा नारा
भगवा ही दे पाता है
भगवा केवल हिन्दू नहीं
हैं धर्मं यह पर बिंन्दु नहीं
है भगवा की पहचान यहीं
करता सद्गुण में वास यहीं
हाँ माना भगवा ने शस्त्र उठाया हैं
पर तब जब रण मज़बूरी थी
सेनाएँ सीमाओं पे आ खड़ी हुई
और दुश्मन ने सीमा तोड़ी थीं
लड़करके युद्ध महान कई
शांति सन्देश दिया हमने
हम पर हुए हमले कई
पर किसी देश की अस्मिता पर
न कोई हमला किया हमने
इतनी क्षमाशीलता से
आखिर भगवा ने क्या पाया
इन संसद के गलियारों में
भगवा आतंकी कहलाया ???
कवि - महेश "हठकर्मी"
प्रिय पाठकों ,
यदि कविता आपको पसंद आये और आप आगे भी ऐसी कविताएँ पड़ना चाहते हैं तो कृपया हमारे Website को Subscribe करें ताकि कोई भी नयी कविता आने पर आपको तुरंत Update मिल जाये।
भगवा ( Bhagva ) | Hindi poetry कविता में भगवा का सही अर्थ और उसके सही मायने बताने का प्रयास किया गया हैं। भगवा केवल रंग नहीं यह सभी सर्वोच्च सद्गुणों का परिचायक अर्थात परिचय करवाने वाला हैं, उनका प्रतीक है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें