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खत -ए -मोहब्बत ( Khat-E-Mohobbat ) | Love Poetry in Hindi

रातभर की कोशिश बहुत अरमां दिल के लिख डालू
मैं भी सनम के नाम अपने खत -ए -मोहब्बत लिख डालू
फिर सोचा दो पल रुक जाऊ , फिर सारे अरमां लिख डालू
वो नयनो के टकराने का किस्सा किस्सा लिख डालू

तू बसा मेरे कहाँ किस हिस्से में वो हिस्सा हिस्सा लिख डालू
वो नयनों से हुई सब बातों का कच्चा चिठ्ठा लिख डालू
परवाह नहीं दुनियां की मुझको , जो दिल ने कहा सब लिख डालू
वो बेचैनियां , बेकरारियाँ , रातों का जगना लिख डालू

विरहा में पिये हलाहल का कतरा कतरा लिख डालू
तेरे खाव्बों में आने पर , आने पर आकर जाने पर
हर शब्द कहानी लिख डालू
औरों की नहीं अब अपनी जुबानी सारी कहानी लिख डालू

जब -जब मैं तुझसे मिलता तुझमे ही कहीं खो जाता हूँ
खोकर मेरे ना मिलने की ये अजब कहानी लिख डालू
नजरें मिलना , मिलकर झुकना , झुककर उठना सब लिख डालू
वो बिन कहे सब कहने का ,तेरा अंदाज नया सा  लिख डालू
मैं भी सनम के नाम अपने , अब खते मोहब्बत लिख डालू

कवि - महेश "हठधर्मी"
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खत -ए -मोहब्बत ( Khat-E-Mohobbat ) | Love Poetry in Hindi  कविता प्रेमिका की जुदाई में तड़पते प्रेमी की स्थिति का चित्रण है।  ये कविता उसकी भावनाओं, आकांक्षाओ का जिवंत विवरण हैं। खत -ए -मोहब्बत ( Khat-E-Mohobbat ) | Love Poetry in Hindi  कविता के पाठन के लिए आप सभी पाठकों का ह्रदय से धन्यवाद 

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