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हाल-ए-दिल ( Haal-E-Dil ) | Sad Poetry in Hindi

हाल-ए-दिल ( Haal-E-Dil ) | Sad Poetry in Hindi

अब कभी ना मिट सकेगी मुझको ऐसी प्यास है
इस जहाँ  में ना कही  मेरे दर्द का इलाज है
बात ये वो बात क्या तेरी हर बात मुझको याद है
याद है वो रहना तेरा दर पे निगाहें टिका के
याद है वो कहना तेरा तुझसे ही मुझको प्यार है

याद है मेरे नहीं आने पे तेरा रूठना
अब तेरे जाने से मेरी न दुनिया कही आबाद है
अब तो जीने की भी मुझमे ना बची कोई आस है
ढूंढ़ता हूँ खुद को खुद में खुद की मुझे तलाश है
सुबह शाम हरवक्त दिनभर पल-पल में तेरी याद है

ना पा सकूंगा खुद को मैं बेकार ये तलाश है
मिट गई आने की तेरी हर आस फिर भी आस है
जो न हम पा सके तुझे तो फिर किस काम की ये साँस है
मुझको मेरी यादों से ज्यादा याद तेरी याद है
ना जी सकूँ जहाँ  में तेरे बिन इसलिए ये अरदास है
थाम दे वो साँस मेरी हर साँस पे तेरा नाम है
अब कभी ना मिट सकेंगी ऐसी मुझको प्यास है

कवि - महेश "हठधर्मी" 

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हाल-ए-दिल ( Haal-E-Dil ) | Sad Poetry in Hindi कविता प्रेमी के दिल के हाल को बयां  करती हैं। 

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